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वृक्षारोपण [कविता]

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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हर एक द्वारा एक वृक्ष

धरा का वृक्षारोपण

ख्वाहिशोँ को सीँच कर सम्बल दिया

क्या कभी किसी पौधे को भी जल दिया

सोचो जो साँसे इस धरा से पायी हैँ

क्या कभी तुमने इसे लौटायी हैँ

एक पौधा जो इस धरा पर डाल देँ

उम्र न सही महज पाँच वर्ष तक पाल देँ

शेष वर्ष वो काम इतने आयेगा

इस जहाँ को प्राणवायु लौटायेगा

एक नया सृजन होगा

महज एक दो रोज नहीँ

पीढीयोँ तक दान ऑक्सीजन होगा

दीपक पाण्डे J N V नैनीताल

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