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A TRIBUTE TO GUDIA

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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उस कमरे मेँ कैसा खौफप्रद मंजर रहा होगा

शैतान भी ये सोच कर के डर रहा होगा

उस वहशी ने मासूम को इतने दिये जखम

वहशियत का हृदय भी काँपता थर थर रहा होगा
यमदूत उसकी जाँ को लेने आया तो था लेकिन

हश्र उसका देख अश्रु नयन मेँ भरे पलट रहा होगा

मासूम चैन से खेलेँ जहाँ कौन सी महफूज है जगह

खुदा जाने वतन का कौन सा कोना रहा होगा

कानून की दहलीज पर दरीन्दोँ के पक्ष मेँ देता है दलीलेँ

खुदा जाने सभ्य समाज का कौन काले कोट वाला रहा होगा

ये दरिन्दे मेरे गढे जहाँ का ही तो नतीजा हैँ

ये सोच खुदा अपनी नजरोँ मेँ गिर रहा होगा

दीपक पाण्डे J N V नैनीताल

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