CHINTAN JAROORI HAI
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आज गर्भस्थ बच्ची की कथा सुनाउँगा
यम की भी रूह काँप उठे वो बताउँगा
मासूम थी वह गर्भ मेँ उम्र दस सपताह थी
पलटती थी अँगूठा चूसती धडकन एक सौ बारह थी
जैसे ही एक औजार ने कोख की दीवार को छूआ
डर से वह सिकुड गयी जाने यह क्या हुआ
धीरे धीरे उस गुडिया के अंग यूँ कटे
बारी पहले कमर की थी फिर पैर भी कटे
औजार से बचने का प्रयत्न कर रही थी वो
बुरी तरह सहम गयी थी अब धडकन थी दो सौ दो
पन्द्रह मिनट के इस खेल मेँ हर कोशिश थी जारी
सब कुछ कट गया अब सिर की थी बारी
मुख खोल जिन्दगी की माँग रही वो भीख थी
शायद वो उसकी पहली और आखिरी गूँगी चीख थी
दीपक पाण्डे J N V नैनीताल
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