CHINTAN JAROORI HAI
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कल जब अपने पुत्र को पिज्जा बाइट मेँ ले गया
वहाँ का द्रश्य एक अजब एहसास दे गया
टेबल पे अपनी बैठ खा रहा था मैँ पिजा
तभी वहाँ एक इन्सान का भी आगमन हुआ
बिखरे थे उसके बाल उनमेँ रेत थी भरी
कपडे ऐसे कि शरीर से करते थे मसखरी
दो बेटियोँ के साथ अपनी आया था वो यहाँ
छोटी थी गोद मेँ बडी ने उँगली को था थामा
आर्डर दिया उसने मन मेँ एक अजब सी ललक थी
गर्व का अहसास आँखोँ मेँ था कैसी वो चमक थी
गर्व की अनुभूती आँखोँ मेँ देख साँस मेरी मध्यम हूई
याद अपने पिता की आ गयी आँखे भी नम हुई
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