CHINTAN JAROORI HAI
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जीवन के इस नाटक के
आधार बदलते रहते हैँ
किरदार वँही रह जाते हैँ
कलाकार बदलते रहते हैँ
जीवन रुपी इस दीपक मेँ
तृष्णाओ की लम्बी बाती है
किन्तु जितना है तेल भरा
वो उतना ही जल पाती है
रंगमंच वही रहता है
बस खेल बदलते रहते हैँ
दुनिया के इस मेले मेँ
बस आना है और जाना है
आने जाने के बीच मेँ बस
साँसारिक स्वाँग रचाना है
बस याद बनी रह जाती है
सँवाद बदलते रहते हैँ
दीपक पाँडे नैनीताल
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