CHINTAN JAROORI HAI
- 179 Posts
- 948 Comments
गूँगी चीख
आज गर्भस्थ बच्ची की कथा सुनाउँगा
यम की भी रूह काँप उठे वो बताउँगा
मासूम थी वह गर्भ मेँ उम्र दस सपताह थी
पलटती थी अँगूठा चूसती धडकन एक सौ बारह थी
जैसे ही एक औजार ने कोख की दीवार को छूआ
डर से वह सिकुड गयी जाने यह क्या हुआ
धीरे धीरे उस गुडिया के अंग यूँ कटे
बारी पहले कमर की थी फिर पैर भी कटे
औजार से बचने का प्रयत्न कर रही थी वो
बुरी तरह सहम गयी थी अब धडकन थी दो सौ दो
पन्द्रह मिनट के इस खेल मेँ हर कोशिश थी जारी
सब कुछ कट गया अब सिर की थी बारी
मुख खोल जिन्दगी की माँग रही वो भीख थी
शायद वो उसकी आखिरी गूँगी चीख थी
दीपक पाण्डे J N V नैनीताल
Read Comments