CHINTAN JAROORI HAI
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अजनबी सा लगता कैसा ये शहर है ।
जिस चेहरे मेँ झाँको बस खौफ का मंजर है ॥
किस पर यकीँ करेँ किस पर करेँ शुबा ।
हर एक के लिबास मेँ छिपा चमकता खंजर है ॥
कहाँ पर करेँ पूजन सजदा कहाँ करेँ ॥
इस शहर मेँ न कोई मस्जिद है न मन्दर है ॥
पहनावोँ से झाँकते जिस्म आते हैँ नजर ।
पोशाकोँ मेँ ढके पालतु कुत्ते और बन्दर हैँ ॥
हर एक शख्स चेहरे पर मुस्कराहट लिये हुए ।
आँखोँ मेँ बसा गम का गहरा समन्दर है ॥
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