CHINTAN JAROORI HAI
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अपने ही इस अहं मेँ यूँ चूर हो गये ।
अपनोँ से अपने आप ही हम दूर हो गये ॥
जिन दरख्तोँ के साये मेँ बीता था ये बचपन ।
उन दरख्तोँ को काटने को हम मजबूर हो गये ॥
जिन्दगी तुझे अपने अन्दाज मैँ जीने चले थे हम ।
खुद जिन्दगी के फैसले मन्जूर हो गये
अपनो ने अपने आप ही इतने दिये जखम ।
रिसते हुए वो जख्म भी नासूर हो गये ॥
बन्दगी मेँ तेरी ए खुदा इतने हुए बदनाम ।
बदनाम होते होते हम मशहूर हो गये ॥
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