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काहे को तूने मेरा माखन चुराया[कविता] jagranjunction forum

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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काहे को तूने मेरा माखन चुराया
वक़्त की है ये पुकार कान्हा आ जाओ
ले कर फिर से अवतार कान्हा आ जाओ
जिस दिन तेरे जन्म की घडी थी
जमुना जी पूरे उफान पे चडी थी
जैसे ही तेरे चरणों को छुहा था
उफान जमुना का फिर कम हुआ था
प्रदुषण से जमुना काली हो गयी
नदी थी कभी जो नाली हो गयी
जमुना का करो उद्धार कृष्णा आ जाओ
ले कर फिर से अवतार कान्हा आ जाओ

द्रोपदी ने जब तुझे दी आवाज़ थी
तूने उस अबला की रख ली लाज थी
हर ओर आज औरत शर्मसार हो रही
बलात्कार की हर दिन शिकार हो रही
रक्षा को नारी करे पुकार कान्हा आ जाओ
ले कर फिर से अवतार कान्हा आ जाओ

गर्भ में नहीं महफूज़ बच्चियों की नस्ल है
कोख में भी होता उनका क़त्ल है
उत्तरा के गर्भ की हुई जो हानी थी
अभिमन्यु की वो बस एक निशानी थी
तूने उसका कल्याण किया था
शिशु को जीवन दान दिया था
अज़न्मी संतानों का कर उद्धार कान्हा आ जाओ
ले कर फिर से अवतार कान्हा आ जाओ

आज के अर्जुनो का हौसला पस्त हो गया
ज़मीर भी उनका ध्वस्त हो गया
परिवारों के मोह में पड़े हुए हैं
बुराई के साथ में खड़े हुए हैं
अर्जुन का कल्याण किया था
गीता का तूने ज्ञान दिया था
आज के अर्जुनो को दे गीता का ज्ञान कान्हा आ जाओ
ले कर फिर से अवतार कान्हा आ जाओ

सियासत में असुरो के वंश भरे हैं
हर कुर्सी पे कंस खड़े हैं
चाटुकार सब मस्त हो रहे
आम जनता सब त्रस्त हो रही
इन कन्सो का करने संघार कान्हा आ जाओ
ले कर फिर से अवतार कान्हा आ जाओ
दीपक पांडे nainital

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