CHINTAN JAROORI HAI
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माँ
उन बच्चोँ के सर से पिता का
हट गया जो साया था
अचानक अपने आप को सभी ने
मुफलिसी मेँ पाया था
माँ अपने आप को इस
परिस्थिती मेँ ढालती रही
अपना पेट काट उन
बच्चोँ को पालती रही
वही माँ आज सभी दुखोँ की
वजह ए दोष हो गयी
न जाने कैसे अपने ही बच्चोँ के
सर पे बोझ हो गयी
एक छोटे से कमरे मेँ सभी को
पाल कर बडा किया
नन्हीँ लताओँ हेतु आय का
स्तम्भ खडा किया
आज उन बच्चोँ के बडे घरोँ माँ के लिए
कोई न जगह थी
साथ माँ को अपने रखने की
कोई न वजह थी
अपनी ही माँ कैसे दुखोँ का
कोष हो गयी
न जाने कैसे अपने ही बच्चोँ के
सर पे बोझ हो गयी
दीपक पाँडे नैनीताल
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