Menu
blogid : 14778 postid : 588607

माँ अपने ही बच्चोँ के सर पे बोझ हो गयी [कविता]

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
  • 179 Posts
  • 948 Comments

माँ

उन बच्चोँ के सर से पिता का

हट गया जो साया था

अचानक अपने आप को सभी ने

मुफलिसी मेँ पाया था

माँ अपने आप को इस

परिस्थिती मेँ ढालती रही

अपना पेट काट उन

बच्चोँ को पालती रही

वही माँ आज सभी दुखोँ की

वजह ए दोष हो गयी

न जाने कैसे अपने ही बच्चोँ के

सर पे बोझ हो गयी

एक छोटे से कमरे मेँ सभी को

पाल कर बडा किया

नन्हीँ लताओँ हेतु आय का

स्तम्भ खडा किया

आज उन बच्चोँ के बडे घरोँ माँ के लिए

कोई न जगह थी

साथ माँ को अपने रखने की

कोई न वजह थी

अपनी ही माँ कैसे दुखोँ का

कोष हो गयी

न जाने कैसे अपने ही बच्चोँ के

सर पे बोझ हो गयी

दीपक पाँडे नैनीताल

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply