CHINTAN JAROORI HAI
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उन्हें भी जिद है कि हम रहनुमा नहीं बनायेंगे
जिन घरो के चिराग बुझते हैं वो अपने घर नहीं
किसी मासूम बेगुनाह को कातिल वो ठहराएंगे
इस शहर में उनका भी कोई हमसफ़र नहीं
इन गूंगों की बस्ती में कोई आवाज नहीं आएगी
इस साल भी हालत यहाँ बेहतर नहीं
अपना ही हमसफ़र यहाँ अपना रकीब है
दुश्मनी निभाने में कोई भी कमतर नहीं
गिरो के जलते घर देखने की आदत सी हो गयी
जब अपना घर जल तो लगा
अपना घर नहीं
जनाजे में शरीक होने वो परिवार सहित आयेंगे
पर्यटन में इस जैसा कोई दूजा शहर नहीं
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