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सपा की सर्कार हमेशा ही ऐसे विवादों में घिरती रही है दुर्गाशक्ति का ही उदहारण लीजिये यह कोई जाती विशेष का मुद्दा ही नहीं था फिर भी रेत माफिया को बचने की खातिर इस मुद्दे को खुद सर्कार द्वारा जातिगत मुद्दा बनाया गया इस मुद्दे के द्वारा नौकरशाही में एक सीधा सन्देश गया की एक जाती विशेष के किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई भी एक्शन आपकी नौकरी के लिए खतरा साबित हो सकता है परिणाम यह हुआ की मामला उस जाती विशेष से सम्बंधित होने पर प्रशाशन मूकदर्शक बना रहा उ प्र जलता रहा शाशन बंसी बजता रहा
यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है की हर बार इस जाती का इस्तेमाल कुछ हिन्दू जाती के नेता ने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए किया तथा उस जाती को हर बार एक बर्बर जाती के रूप में प्रस्तुत किया
सपा के शाशन का पुराना इतिहास देखा जय तो आंकने बताते हैं की इस पार्टी के सत्ता में आने पर अपराध का आंकड़ा बढता गया अज की राजनीती महज जाती की राजनीती बन कर रह गयी है यदि जनता इस सपा को सत्ता से हटाती है दूसरी पार्टी आयेगी फिर दंगे होंगे अराजकता फैलेगी फर्क सिर्फ इतना होगा की अबकी बार दंगो में दलित शामिल होगा प्रशाशन अपनी मूर्तियाँ लगाएगा
जब तक इस देश की जनता जातिगत आधार पर वोट देना नहीं छोड़ेगी तब तक येही तांडव दोहराया jata rahega जो जनता चाँद शराब की बोतलों की खातिर ,लैपटॉप के लालच में ,जातिगत अधर पर बिकती रहेगी इस प्रदेश की स्तिथि में सुधर आना मुश्किल है
जनता को यह समझना होगा सत्ता दंगो में किसी भी जाती का पक्ष ले मरता तो इंसान ही है वह भी दोनों जाती का जो जाती धर्म के अधर पर वोट मांगती है उसका सत्ता पर शाशन का कोई हक नहीं है
दलित और मुसलमानों को ये समझना होगा जो ये सत्ता के ठेकेदार नहीं छाहते की इन जातियों का विकास हो या इन्हें कोई सिक्षा जैसी बुनयादी सुविधा हासिल हो क्यूंकि जिस दिन ये समाज विकसित हो गया शिक्षित हो गया इनकी सोच दंगो की मानसिकता से ऊपर उठ जाएगी और इनका tathakathit वोट बैंक समाप्त हो जायेगा
दोष केवल सपा को दे देने से हम अपनी जिम्मेवारियीं से नहीं बाख सकते दोष हमारा ही था जो हमने इस पार्टी का पुराना रिकॉर्ड मालूम होने के बावजूद इसे ही चुना
इस दंगे की भूमिका तो उसी दिन बन चुकी थी जब दुर्गाशक्ति को ससपेंड किया गया था सपा ने उसी दिन यह साबित कर दिया था की एक जाती विशेष के आगे नौकरशाही की कोई औकात नहीं है और जरुरत पड़ने पर अगर यह जाती दंगे पर उतर आये तो संपूर्ण सत्ता उसके साथ है इसी वजह से प्रशाशन कोई एक्शन लेने से कतराता रहा अब जनता के हाथ में यह फैसला है की वह कैसे सर्कार छाहती है
यदि अब भी जनता नहीं जागी तो फिर आगे और दंगो , के लिए तैयार रहे या जनता के पैसे से मूर्तियों के निर्माण के लिए तत्पर रहे
सपा के शाशन पर
उ प्र के प्रशाशन पर
दंगे एक सवालिया निशान रहेंगे
इतिहास में ये सपा की पहचान रहेंगे
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