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जिन्दगी कुछ रुकी रुकी सी है ( गजल )

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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जिन्दगी कुछ रुकी रुकी सी है लेकिन

अब तलक ये साँसे थमी तो नहीँ हैँ

मंजिल की आरजू मेँ बढते जा रहे कदम

कदमोँ के तले लेकिन जमीँ तो नहीँ है

अपनोँ के बीच मेँ कुछ अजनबी से हो गये

अपनोँ की इस जहाँ मेँ कमी तो नहीँ है

यूँ तो हर रोज उनसे मिलती हैँ निगाहेँ

साथ गम मेँ रो सके इन आँखोँ मेँ नमी तो नहीँ है

खुद मेँ ही खुद को खोजते फिर रहे हैँ अब

अपने ही जहन मेँ खुद हमी तो नहीँ हैँ

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