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आजाद सोशल मीडिया प्रजातंत्र की मजबूत बुनियाद( जागरण जंक्शन फोरम )

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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आजाद सोशल मीडिया प्रजातंत्र की सबसे मजबूत बुनियाद

आजाद सोशल मीडिया प्रजातंत्र की सबसे मजबूत बुनियाद के रूप में उभर कर आई है यह आम जनता की ताक़त है दामिनी बलात्कार का मुद्दा ही लीजिये यह किस्सा भी अन्य हजारों उन मुद्दों की तरह फाइल में दब कर ख़त्म हो गया होता परन्तु इस सोशल मीडिया ने ही इस केस की गंभीरता को समझते हुए पुरे राष्ट्र को न सिर्फ जगाया अपितु हर देशवासी की आत्मा को झकझोर कर रख दिया तथा दामिनी को संपूर्ण न्याय दिल कर ही दम लिया इसी प्रकार जेस्सिका लाल ,प्रियदर्शनी मट्टू ,नितीश कतर जैसे मुद्दे भी सोशल मीडिया के सजग रहते अपने सही अंजाम तक पहुँच सके समय समय पर यह सोशल मीडिया नारी के अधिकारों के लिए लड़ा यदि प्रतिबन्ध ही लगाना है तो इन्टरनेट की पोर्नोग्राफिक साईट पर लगाया जाना चाहिए जिसे देखकर हमारे देश का मासूम अब मासूम न रहकर कुत्सित मानसिकता से ग्रसित बलात्कारी में तब्दील होता जा रहा है
जहाँ तक दंगो का सवाल है यह तो jag जाहिर ही हो चूका है की दंगे सत्ता के दबाव में आकर प्रशाशन की निष्क्रियता की वजह से फैले न की सोइअल मीडिया द्वारा इतिहास गवाह है इस बात का की जब जब दंगे हुए किसी न किसी राजनितिक स्वार्थ की वजह से हुए सोशल मीडिया में हर एक आम जन एक सजग पत्रकार की भूमिका निभाता है वह अन्य मीडिया की भांति पक्षपात नहीं करता तथा अपने स्वतंत्र विचार प्रस्तुत करता है उस पर नियंत्रण करना विचारों की अभियक्ति का सेध सीधा सीधा हनन होगा बॉम्बे का उदहारण लीजिये दो लड़कियों के एक राजनेता की मौत पर टिपण्णी देने पर हिरासत में लेने पर स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर विचारों की अभिव्यक्ति का हवाला देते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था
किसी के अर्तॊन बनाना कोई निजता का हनन नहीं मन जा सकता यह तो सदियों से होता आया है उल्टा दुसरे रूप में देखा जाय तो यदि आप सही हैं तो आपकी प्रसिद्धि और बदती जाएगी एक समय ऐसा भी था जब नेता साफ़ छवि के हुआ करते थे वे स्वयं पत्रकार से कहा करते थे की बड़े दिनों से उनका कोई कार्टून नहीं बनाया गया किसी पत्रिका में
इन सभी बातो से येही निष्कर्ष निकलता है की यह सोशल मीडिया ही है जिसने समय समय पर महिलाओं को न्याय दिलाया महिलायों के हक की खातिर लड़ा सामाजिक बुराइयों को उजागर कर समाज को मंथन करने को मजबूर कर दिया साथ ही साथ आपत्तिकाल में देश को एकजुट किया
एक बार मैं फिर इस बात पर जोर देना चाहूँगा की अगर प्रतिबन्ध ही लगाना है तो देश भर में बेलगाम होते फिल्मे अश्लील गाने तथा सबसे महत्वपूर्ण पोर्नोग्राफिक साइट्स पर पुर्णतः प्रतिबन्ध लगाए जिसने हमारे मासूम बच्चों को बलात्कारी और हत्यारा बना कर रख दिया इसे कार्य रूप में परनीत करने से हमारे देश में बलात्कार तथा हत्याओं के प्रतिशत में जबरदस्त गिरावट आएगी और हमारा युवा पथभ्रमित होकर भटकने के बजे मुख्या धरा में आकर देश की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम होगा

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