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सच्चा नायक
सीमेंट के बोरे उठाता वो वृद्ध ,उम्र लगभग चौसठ वर्ष रही होगी सर पर लम्बे चांदी जैसे सफ़ेद बाल आखिर क्या मजबूरी रही होगी .पूछने पर ज्ञात हुआ वो किसी सरकारी नौकरी से चार पूर्व रिटायर हुआ है ऑफिसर को रिश्वत न देने की वजह से अब तक पेंशन तथा अन्य किसी भी लाभ से वंचित है चार वर्ष से परिवार चलाने के लिए यहाँ मजदूरी को मजबूर है व्यवहारिक रूप से देखा जाय तो चन्द रुपये रिश्वत न देकर वह चार वर्ष से अपनी हजारों की पेंशन से वंचित है परन्तु न जाने वह कहता है की देश के सच्चा नागरिक होने के नाते वह रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को बढावा नहीं देना चाहता यह बताते हुए उसकी आँखों में एक गजब का तेज पाता हूँ सच इस देश को तुम्हारे जैसे ही नागरिकों की जरूरत है हे वृद्ध पुरुष तुम ही इस देश के सच्चे नायक हो ऐसे थे मेरे पिता / उन दिनों मैं अन्य व्यक्तियों की तुलना में अपने पिता को कम व्यवहारिक पाता था परन्तु आज किसी न किसी मजबूरी में लिप्त या पारिवारिक कारणों या पद के लालच को बहाना बनाकर भ्रष्टाचार के दलदल में डूबे इस समाज को देखता हूँ तो पिताजी आपको ही अपनी जिंदगी का नायक मानता हूँ पिताजी आप हमेशा मेरी नजरों में नायक थे नायक हो और नायक रहोगे
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