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सजायाफ्ता अपराधी को भी संसद में लाने की तैय्यारी थी

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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देख रही तमाशा गुपचुप
किङ्कर्तव्यविमुद जनता बेचारी थी
सजायाफ्ता अपराधी को भी संसद में
लाने की तैय्यारी थी
क्या सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष
सब ही के चहरे खिले हुए
नंगे सब ही एक हमाम में
संसद के भीतर सब मिले हुए
जागा जमीर महामहिम का
बस ये ही दुश्वारी थी
सजायाफ्ता अपराधी को भी संसद में
लाने की तैय्यारी थी
हुआ खेल सब ख़तम महज ये
सोची समझी साजिश थी
हुआ अध्यादेश वापस युवराज को
पटल पर लाने की कोशिश थी
आजादी को कितने दशक बीत गए
ऐसा न बुरा समय आया
भारत की जनता ने कभी
इतना न खुद को
बेबस ,लुटा ,ठगा पाया
लुट जाता सब आ गयी बीच में
एक माँ के बच्चे की
किलकारी थी
सजायाफ्ता अपराधी को भी संसद में
लाने की तैय्यारी थी

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