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बहुत समय बाद राजनीती के मैदान में कुछ सकारात्मक सुनने को मिला आरोप के आधार पर राजनितिक जीवन पर प्रतिबंध का प्रस्ताव कपिल सिबल द्वारा कि गयी एक सकारात्मक पहल है जिसे एक राजनितिक रंग न देते हुए देश में होने वाले बदलाव की ईमारत में एक नींव का पत्थर माना जा सकता है चूंकि कपिल सिबल एक बुद्धिजीवी कानून मंत्री हैं और खुद भी एक वकील रह चुके हैं अतः वह अपहरण हत्या और बलात्कार जैसे अपराधों कि जघन्यता को समझते हैं ये इल्जाम किसी व्यक्ति पर यूं ही नहीं लगाये जा सकते
अब प्रश्न उठता है उन लोगों का जिन पर यह इल्जाम लगे हैं वह उच्च माननीय पदों पर बने रहें या नहीं हमारे देश के अनुसार कानून की देरी की वजह से किसी को अपराधी सिद्ध करने में लगभग पंद्रह साल तक लग जाते हैं और यदि वह अपराधी सिद्ध होता है तो ये हमारे सिस्टम कि विफलता नहीं है कि वह इतने अपराधी होने के बावजूद इतने लम्बे समयांतराल तक देश के उच्च पद पर आसीन हो देश को नोंचता खाता रहा इतनी विशाल जनसँख्या वाले देश में बुद्धिजीविओं को उन चंद आरोप लगे अपराधियों से ही सहानुभूति क्यों है इस देश में साफ़ छवि वाले लोगों कि संख्या अरबों में होगी फिर भी हम उन सैकङो की चिंता में मशगूल हैं जो कि अपराधी भी सिद्ध हो सकते हैं
कुछ सालों से देखा जा रहा था कि भारत कि राजनीती में आरोपित होना चुनाव के लिए योग्यता के मापदंडो में शामिल होने लगा था पार्टी आरोपित व्यक्ति को समाज के रसूखदार लोगो में मानती थी और ऐसे ही व्यक्ति को चुनाव के लिए उपयुक्त मानती थी अपराधिक छवि पार्टी में टिकट पाने के लिए एक योग्यता मणि जाने लगी थी लोग पाती में टिकट पाने हेतु अपराधिक छवि का होने पर गर्व करते थे परन्तु इस अध्यादेश के आने पर पार्टी का भी अपराधियों से मोहभंग होगा
अक्सर यह देखा गया है कि ऐसी अपराधी छवि वाले लोग समाज में अपने आप को रॉबिनहुड के रूप में पेश करते हैं और जनता भी या तो अपना काम बनाने के आधार पर या अपनी जाती के आधार उनका ही चयन करती है आज भी हमारे देश में साफ़ छवि वाले लोगो कि कमी नहीं तो इन चंद लोगो के लिए इतना बबल क्यों कुछ तो ऐसे भी उदहारण हैं जिन पर १५-१५ अपराधिक मामले दर्ज हैं ये सभी मामले झूठे तो नहीं हो सकते ऐसे प्रस्ताव का समस्त जनता पूरा समर्थन करेगी
जब बात देश कि आती है तो व्यक्तिगत स्वार्थ को दरकिनार करना पड़ता है हो सकता है इस कारन कोई एक भला व्यक्ति झूठे मामले में फंसकर चुनाव न लड़ पाये परन्तु देश महत्वपूर्ण है व्यक्ति नहीं इस एक व्यक्ति कि खातिर देश को सैकङो अपराधियों के हाथ में नहीं सौंपा जा सकता यह अध्यादेश देश के भविष्य के निर्माण में एक मील का पत्थर साबित होगा और जब किसी भी पार्टी का कोई दागी नेता चुनाव नहीं लड़ सकेगा तो इसका विरोध करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता अतः सभी पार्टी के जनों को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ भूलकर is अध्यादेश का पूर्णतः समर्थन करना चाहिए आखिर पार्टी कोई भी हो देश तो सभी के लिए सर्वोपरि है
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