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मासूम कली (कांटेस्ट )

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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ऋतुराज बसंत आगमन
प्रणयोत्सव के उल्लास से
भरी एक कली
कब वह एक पुष्प बनेगी
एक भंवरा आयेगा
अपने अंगों में
पराग छुपाये हुए
उसका आलिंगन करेगा
उस आलिंगन के माधुर्य
में उन परागकणों
से मिल एक नव जीवन
का निर्माण होगा
वह नहीं जानती है
उसके उदभव से अब तक
उसके अपने बागान के
कंटक फूल पत्ते की
उस पर वासना भरी
कुदृष्टि है
नहीं जानती वह
इसी बागान की
कई कलियाँ खिलने से
पहले ही मसली जा चुकी हैं
किसी दिन कई भँवरे
आएंगे प्रणय निवेदन के बिना
ही उस पर टूट पड़ेंगे
उसके अंग अंग को
क्षत विक्षत कर डालेंगे
या फिर कोई भंवरा
प्रणय निवेदन से इंकार पर
उसके अंग प्रत्यंग को
जहरीले रस से झुलसा डालेगा
अफ़सोस
नादान कली
मासूम कली
ये जानती नहीं कि
इस बागान में कोई भी कली
उद्गम से अंत तक
महफूज़ नहीं है
वह ये नहीं जानती कि
प्रकृति ने जीवन के पुनर्निर्माण
के लिए जो मातृशक्ति
वरदान उसे प्रदान किया है
आज वही मातृशक्ति
का वरदान उसके लिए
मौत का सबब बन चूका है

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