CHINTAN JAROORI HAI
- 179 Posts
- 948 Comments
खुद से ही जीता हूँ और खुद से ही हारा हूँ
फतह का जश्न मनाता तो मनाता कैसे
ख़ुशी में तुझको भूलने की मेरी फितरत है
ग़मों में तुझको बुलाता तो बुलाता कैसे
अपने कल की खातिर ही तुझसे दूर हुआ
अपने आज को सजाता तो सजाता कैसे
मिटाना खुद को है खातिर खुदा को पाने की
अहम को अपने मिटाता तो मिटाता कैसे
तम जो होता तो एक दीप ही जला दिया होता
खुद ” दीपक ” हूँ तले से अँधेरा हटाता कैसे
Read Comments