Menu
blogid : 14778 postid : 760085

अनोखी भीख (लघु कथा)

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
  • 179 Posts
  • 948 Comments

देहरादून रेलवे स्टेशन का एक प्लेटफार्म देहरादून से काठगोदाम को जाने वाली रेलगाड़ी अपने नियत स्थान पर खड़ी थी चूंकि अभी काफी समय शेष था अतः ए.सी. टू टियर डब्बे का दरवाजा अभी नहीं खुला था अपना एक से छह तक की सीट पर नाम देख आश्वस्त होकर वो छह भद्रा पुरुष दरवाजे के ही पास खड़े हो गए तभी एक लगभग ७५ वर्षीय वृद्धा का आगमन हुआ फटे मैले कुचले कपडे ,दो दिन से कुछ न खाए जाने की दुहाई देकर वह किसी आस में हाथ फैलाने लगी मगर उनमे से किसी ने उस पर दया किये बिना उसे आगे बढ़ जाने को कहा तथा आपस में कहने लगे दान देने से इन लोगों को और बढ़ावा मिलता है मेहनत के बिना किसी को भी एक रुपया भी नहीं देना चाहिए
थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला वो सभी भद्रा पुरुष अपनी अपनी सीट पर बैठ गए टी टी का आगमन हुआ रेल का किराया बढ़ने की वजह से सभी की अतिरिक्त ९५ रूपये की रसीद कटी प्रत्येक ने टी टी को १०० रूपये थमा दिए रसीद काटकर टी टी उन सभी से हाथ मिलाते हुए थैंक्यू कहने लगा तथा आगे बढ़ गया वे सभी टी टी का ये थैंक्यू सुनकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे पांच रूपये वापस मांगने की किसी ने भी ज़हमत तक नहीं उठाई आखिर अधिकार के रूप में ली जाने वाली ये अनोखी भीख ही तो थी

दीपक पाण्डेय
जवाहर नवोदय विद्यालय
नैनीताल

Tags:      

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply