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वसुधैव कुटुंबकम की अनूठी पहचान है
नाज़ है इस देश पर ये मुल्क महान है
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एक समय था जब बाहर से गेंहू भी मंगाया
तत्पश्चात हरित क्रांति का अभियान चलाया
आज अपना अन्न उपजा स्वयं निर्वाह कर रहे
गोदाम अपने खाद्यान्न से स्वयं ही भर रहे
नारा दिया गया जय जवान जय किसान है
नाज़ है इस देश पर ये मुल्क महान है
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श्वेत क्रांति का जबसे मुल्क को मंत्र है मिला
हर जगह ही दूध की बहने लगी नदियां
तकनीकी के क्षेत्र में भी आगे आ गए हैं हम
सुपर कंप्यूटर बना कर उसे नाम दिया परम
विश्व की आर्थिक शक्तियों में अपना नाम है
नाज़ है इस देश पर ये मुल्क महान है
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शक्ति का अपने कभी अभिमान न किया
न मिला क्रायोजेनिक तो खुद ही बना लिया
अंतरिक्ष के भी क्षेत्र में बड़ा दिया कदम
अपना उपग्रह अब स्वयं ही भेजते हैं हम
पहले कभी भाभा थे तो अब कलाम है
नाज़ है इस देश पर ये मुल्क महान है
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खुद किसी भी मुल्क पर आक्रमण नहीं किया
सीमाओं का हमने कभी अतिक्रमण नहीं किया
बुरी नज़र दुश्मन की जब इस देश पर पडी
ईंट का जवाब हमने पत्थर से ही दिया
सेना में ही इस देश के बसते प्राण हैं
नाज़ है इस देश पर ये मुल्क महान है
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नारी की अस्मत पर जब प्रहार किया गया
जनता का सैलाब फिर सड़कों पे आ गया
एक क्रांति का फिर नया प्रादुर्भाव हुआ
जाग गया देश इसका जाग गया युवा
दिखाया लोकतंत्र में जनता ही बलवान है
नाज़ है इस देश पर ये मुल्क महान है
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आत्ममंथन का समय है ये संक्रमण काल है
देश नहीं खुद ही को बदलने का साल है
हम ही न भ्रष्ट होंगे तो भ्रष्टाचार जायेगा
नयी भोर की कोख में अंधकार समाएगा
हर आँखों में सपने हैं एक नयी उड़ान है
नाज़ है इस देश पर ये मुल्क महान है
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सम्भलना हमें ही होगा खुद ही आगे आएंगे
न कोसेंगे अँधेरे को स्वयं दीप जलाएंगे
हर प्राणी को आत्मदीपोभवः का पाठ पढ़ाएंगे
वतन को फिर से सोने की चिड़िया बनाएंगे
महर्षियों की भूमि है ये देवो का स्थान है
नाज़ है इस देश पर ये मुल्क महान है
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दीपक पाण्डेय
नैनीताल
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