CHINTAN JAROORI HAI
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बचपन में एहसास बहुत था
नन्हें दीपों में प्रकाश बहुत था
छोटी सी थी अपनी धरती
पर ऊँचा आकाश बहुत था
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गेरू के गोले वृत्ताकार से
माँ ने रचे पाँव बिस्वार से
कहती थी पग इन पर रखकर
लक्ष्मी जी आएंगी अपने घर
नन्हें मुन्ने उन बच्चों को
बातों पर इन विश्वास बहुत था
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सुख व शान्ति से भरा हुआ घर
लक्ष्मी जी भी आयी मंदिर पर
प्रभु तुझसे है, बस यही अर्चना
विश्वास रहे वही बचपन सा
दीपक पाण्डेय
नैनीताल
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