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छात्र की सीख

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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बड़ी शिद्दत के साथ यदि तुम किसी चीज़ को चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने की साज़िश करती है यह बात मैंने मशहूर लेखक पाउलो कोहलो द्वारा रचित पुस्तक “अलकेमिस्ट “में पढ़ी थी मगर यह कहने में मुझे ज़रा भी संकोच नहीं है कि वास्तव में जीवन की यह अनमोल सीख मुझे मेरे एक छात्र द्वारा दी गयी I
बात सन २००५ की रही होगी मैं कक्षा ७ में गणित के पीरियड में प्रथम इकाई परीक्षा के अंक बता रहा था जिसमे फेल होने वाले छात्रों को अंक बताकर आगे बुलाया जा रहा था उन्ही में एक छात्र था गौरव गुप्ता जिसने टेस्ट में मात्रा २ अंक प्राप्त किये थे I गौरव एक छरहरे बदन का दुबला पतला छात्र था I सभी छात्रों को बुलाने के बाद मैंने उसे बुलाकर झिड़की देकर कहा देखो यह है जीरो नंबर पाने वाला छात्र I न जाने उसमे कहाँ का आक्रोश भरा था तुरंत अकड़कर ऊंची आवाज़ में बोलै ” जीरो नहीं हैं मेरे २ अंक लाया हूँ मैं ” यह सुन कर मुझे क्रोध आ गया तुरंत उसे इस बात की सज़ा दी गयी I
चूंकि यह एक आवासीय विद्यालय था और मैं यहां कुछ दिन पहले ही तबादला लेकर आया था शाम को ज्ञात हुआ कि गौरव हमारे ही साथी टी जी टी अंग्रेज़ी श्री चित्र कुमार गुप्ता जी का पुत्र है I शाम को श्री गुप्ता जी सपत्नी मेरे घर आये I ज़ाहिर सी बात थी उन्हें मुझसे शिकायत होगी लेकिन वो विनम्रता से बोले सर ये आपका दोष नहीं है हमारा ही पुत्र बचपन से ही शारीरिक रूप से कमज़ोर है और शुरू मे अपनी नानी के लाड प्यार में बिगड़ गया है और पढाई में भी कमज़ोर हो गया I कृपया आप इसका ख्याल रखियेगा I
गौरव एक कमज़ोर छात्र था ८० बच्चों में उसका ७८ वां स्थान था मगर न जाने उसकी आँखों में क्या था जो मुझे अपनी ओर खींचता था बहरहाल अब वह पड़ने लगा था और गणित को छोड़ अन्य विषयों में पास होने लगा था चूंकि मे थोड़ी सख्ताई से अंक देता था I वार्षिक परीक्षा में उत्तर पुस्तिका मूल्याङ्कन हेतु दुसरे विद्यालय गयी तो गौरव पास था बस यही गौरव की ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट था फिर तो वह आगे ही बढ़ता गया I
तीन साल बाद दसवीं में उसे फिर पढ़ाने का मौका मिला उसका जोश देख मैंने भी कह दिया कि वह अबकी बार का टॉपर है बस फिर क्या था अब तो वह रात रात भर पड़ने लगा पिता के पूछने पर वह बोला ” ये मैं अपने लिए नहीं सर की इज़्ज़त की खातिर पद रहा हूँ चूंकि उन्होंने सबके सामने मेरे लिए कहा है अतः मैं उनकी जुबां की इज़्ज़त बनाये रखने की खातिर पद रहा हूँ ” सच ही है जब कोई व्यक्ति किसी दुसरे की खातिर मेहनत करता है तो इश्वर भी उसका साथ देता है I अंत में दसवीं में गौरव ने ८० फीसदी अंक प्राप्त किये I अब उसे कक्षा ११ में जीव विज्ञान दिलाने का ज़िम्मा मेरी पत्नी को सौंपा गया उसनेउसे कहा कि अब गौरव डॉक्टर बनकर दिखाना है
अब मेरा तबादला नैनीताल हो गया मगर गौरव ने अपनी धुन नहीं छोड़ी कक्षा १२ में ७२ फीसदी अंक लाने के बाद उसने मेडिकल की प्रवेश परीक्षा दी परन्तु पास न हो सका मगर उसे तो बस एक ही धुन थी डॉक्टर बनना है एक साल फिर मेहनत करने के पश्चात गौरव ने फिर प्रयास किया परन्तु इस बार भी अंक में तो इज़ाफ़ा हुआ मगर सफलता नहीं मिली अब भी गौरव ने सहस नहीं छोड़ा और कोचिंग लेकर फिर प्रयास किया इस बीच वह मेरी पत्नी से दूरभाष में बात करता था कि वह डॉक्टर जरूर बनेगा मगर दुसरे वर्ष भी अंक में इज़ाफ़ा तो हुआ पर सफलता नहीं मिली I
अब तो उसके साथी भी उस पर फब्तियां कसने लगे थे I गुप्ता सर के साथी भी उनकी और गौरव की मज़ाक उड़ाने लगे थे मगर गौरव था कि वही धुन कि आंटी को डॉक्टर बन कर दिखाना है अब भी दूरभाष में वह यही कहता आपने कहा है तो उसे सच करके दिखाना है अब उसने और गुप्ता सर ने लोगों से बात करना छोड़ दिया था लोग बहुत मज़ाक जो बनाने लगे थे और गौरव ने अपनी मेहनत का कारवाँ एक साल और बढ़ाया मगर अबकी बार वह परीक्षा देने के पश्चात अपने पिता से बोला कि उसने सम्पूर्ण मेहनत झोंक दी है अब पास न होने पर वह पड़ेगा नहीं वरन पिताजी चाहें तो वह कमाने की खातिर मज़दूरी करने को भी तैयार है I
मगर यह क्या इश्वर भी उसकी परीक्षा लेकर थक चुका था गौरव मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में पास हो चूका था I पास होने पर उसने सबसे पहले मेरी पत्नी को दूरभाष से सूचित किया ” आंटी मैं डॉक्टर बन गया मैं पास हो गया ” यह कहकर वो आगे कुछ न कह सका बस लगभग १० मिनट तक रोटा रहा और फ़ोन काट दिया यह सुन कर मेरे और मेरी पत्नी की आँखों में आंसू थे I
प्रिय गौरव यद्यपि मैं तुम्हारा शिक्षक हूँ मगर तुमने मुझे जीवन का एक सबक सीखा दिया कि यदि कुछ पाने के लिए पागलपन की हद तक कोशिश हो तो शायद जीवन में कुछ भी असंभव नहीं I अपने जीवन में मैं अब तक बहुत कुछ न पाने के लिए अपनी परिस्थितियों और भाग्य को कोसा करता था मगर गौरव अब मैंने जाना कि शायद मेरे प्रयास उतने नहीं थे जितनी शिद्दत से तुमने किये थे अब मुझे अपने जीवन से कोई मलाल नहीं है अब मैं अपने ही छात्र से जीने का सबक सीख चुका हूँ I

दीपक पांडेय
जवाहर नवोदय विद्यालय
नैनीताल
२६३१३५

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